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शिक्षा



सामुहिक विवाह
आज के समय में रोजगार की कमी या आय के साधन सीमित होने के कारण नवयुवक और नवयुवतियों के विवाह में विलंब हो रहा है। आर्थिक तंगी के कारण वह विवाह का खर्च नहीं उठा पाते। हर्ष हीलिंग हैंड फाउंडेशन का उद्देश्य समाज के उन गरीब परिवार के नवयुवक और नवयुवतियों का विवाह करना है जो कि विवाह योग्य है और आर्थिक रूप से कमजोर हैं या आर्थिक तंगी के कारण वह विवाह का खर्च उठाने में अक्षम है। हर्ष हीलिंग हैंड फाउंडेशन का ध्येय ऐसे जोड़ों के विवाह कराने के साथ साथ उन्हें गृहस्थी में उपयोग होने वाली की आवश्यक वस्तुओं को मुहैया कराना जो कि उनकी गृहस्थी के लिए आवश्यक है, जिससे उन्हें अपनी गृहस्थी चला पाने में सुविधा हो। (विवाह प्रमाणपत्र सहित)
कृषक सहायता
संपन्न किसानों के पास आधुनिक तकनीक एवम् खेती के लिए पर्याप्त संसाधन हैं । लेकिन छोटे किसानों को खेती के क्षेत्र में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसमें मुख्य समस्या प्राकृतिक आपदा, आधुनिक, संसाधनों की कमी एवम् अर्थ (पैसे) की कमी है। खेती वर्षा पर निर्भर करती है। कभी वर्षा अधिक होती है और कभी बहुत कम होती है। जिसके उनके पास सिंचाई के साधन सीमित है। फलस्वरूप किसान को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। फसल से वह लागत भी वसूल नहीं कर पाते हैं जो उन्होंने फसल के लिए लगाई है। वह अगली फसल के लिए बीज और खाद जुटा नहीं पाते हैं। खाद और बीज के लिए बाजार से कर्ज लेते हैं और फिर कर्ज में डूब कर नुकसान उठाते हैं। एक तरफ फसल में नुकसान और दूसरी तरफ ब्याज का बोझ। हर्ष हीलिंग हैंड फाउंडेशन का उद्देश्य ऐसे गरीब किसानों को फसल के लिए बीज, खाद और कीटनाशक के लिए अनुदान देना और आवश्यकता पड़ने पर ऋण प्रदान करना है। खेती की नई तकनीकी जानकारी देना है। सिंचाई के लिए जल संग्रहण की तकनीकी जानकारी देना और सूर्य ऊर्जा की जानकारी देना है। खेती के साथ साथ हस्त शिल्प प्रशिक्षण देना है ताकि वह अपनी आय उपार्जन कर सकें।




घरेलू हिंसा
घरेलू हिंसा का तात्पर्य यह है कि किसी परिवार में किसी के भी साथ किए जानी वाली हिंसा जैसे कि शारीरिक उत्पीड़न (मारपीट), मानसिक उत्पीड़न (अपमान, दुर्व्यवहार ) एवम् अर्थिक उत्पीड़न (आर्थिक शोषण) मुख्य समस्याएं हैं। यह उत्पीड़न महिलाओं, बच्चों, बुर्जुगों और पुरुषों किसी के साथ भी हो सकता है। महिलाओं के प्रति हिंसा एक बहु आयामी मुद्दा है जैसे कि दहेज के लिए उत्पीड़न, मारपीट, आर्थिक पाबंदी, अपमान आदि। बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार, उनकी देखभाल न करना और उनके अधिकारों का हनन आजकल आम समस्या है । ऐसे ही बच्चों का यौन शोषण होना (बच्चे अपने साथ होने वाले यौन शोषण को न समझ पाते हैं और न बता पाते हैं), उनके साथ दुर्व्यवहार करना, उनकी शिक्षा और जरुरतों के लिए पर्याप्त धन या संसाधन न देना, उनकी पसंद के अनुसार रोजगार करने में बाधा पहुंचना या न करने देना और मारपीट करके घर से बाहर निकाल देना आदि। घरेलू हिंसा को रोकने के लिए न्यायालय हैं परंतु अधिकतर शोषित लोग अपने अधिकारों के लिए न्यायालय तक पहुंच नहीं पाते, इसका कारण है कि सही जानकारी का न होना या जागरुकता की कमी का होना। हर्ष हीलिंग हैंड फाउंडेशन का उद्देश्य परिवार के शोषित व्यक्ति को कानून और अधिकारों की जानकारी देना और अपने अधिकारों को कैसे बचाया जाए, इसके लिए पर्याप्त मनोवैज्ञानिक सहयोग करना और उसे न्याय दिलाने में मदद करना।
पर्यावरण सुरक्षा
पर्यावरण वह परिवेश है जिसमें जैविक और अजैविक दोनों तत्व शामिल हैं। स्वस्थ अस्तित्व के लिए स्वच्छ पर्यावरण का होना आवश्यक है। पर्यावरण के चार घटक हैं- वायु मंडल, स्थल मंडल, जल मंडल और जीव मंडल। इन चार घटकों को संतुलित करने के लिए आवश्यक है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाना, हरियाली को बढ़ावा देना क्योंकि एक बड़ा और पुराना पेड़ छोटे पेड़ पौधों की अपेक्षा वायु मंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है। पर्यावरण सुरक्षा केवल सरकारी योजनाओं या कानून के आधार पर संभव नहीं हो सकती । यह हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है कि पर्यावरण सुरक्षा की मदद से हम जल, वायु और मृदा के प्रदूषण को कम करें । हर्ष हीलिंग हैंड फाउंडेशन का उद्देश्य है कि लोगों को पर्यावरण सुरक्षा एवं संरक्षण की जानकारी देकर जागरूक बनाना है। लोगों को समझना है की घरों से निकलने वाले दूषित पानी को साफ पानी में न मिलने से बचाएं एवम् दूषित पानी को साफ करने के उपाय किए जाएं, सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाए ताकि लकड़ी का ईंधन के रूप में कम उपयोग हो। अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाना, प्लास्टिक का उपयोग न करना या कम करना, कूड़ा इधर-उधर नहीं फेंकना। पर्यावरण सुरक्षा के लिए पांच प्रकार से उपाय किए जा सकते हैं -: 1- Refuse (इंकार करना), 2- Reduce (कम उपयोग), 3- Reuse (पुनः उपयोग), 4- Repurpose (पुनः प्रयोजन), 5- Recycle (पुनः चक्रण), हर्ष हीलिंग हैंड फाऊंडेशन का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है कि पेड़ों की अधिक कटाई या पेड़ों का दोहन पर्यावरण की कई समस्याओं को जन्म देता है जैसे कि दूषित वायु:- यदि पेड़ अधिक मात्रा में काटे जायेंगे तो वायुमंडल दूषित होगा जिससे कई प्रकार के रोग का कारण हो सकते हैं। पेड़ों की अधिक कटाई से वन्य जीव जंतुओं का पतन होता है जो कि मानव जीवन के लिए घातक हो सकता है। पेड़ों की अधिक कटाई से बाढ़ और मृदा अपरदन की गंभीर आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। पर्यावरण सुरक्षा एवं संरक्षण सभी लोगों का नैतिक कर्त्तव्य है और आवश्यकता भी है।




मानवाधिकार
12 अक्टूबर 1993 में मानवाधिकार अधिनियम बना जिसका संशोधन अधिनियम 2006 में किया गया। मानवाधिकार ऐसे मानक हैं जो सभी मनुष्यों की गरिमा को पहचानते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। किसी भी व्यक्ति की जिंदगी उसकी आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार ही मानवाधिकार है । भारतीय संविधान इस अधिकार की न सिर्फ गारंटी देता है बल्कि इसे तोड़ने वाले को अदालत सजा भी देती है। मानवाधिकार में मुख अधिकार जो है वह इस प्रकार हैं समता का अधिकार, समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति और शिक्षा संबंधित अधिकार संवैधानिक अधिकार। हर व्यक्ति चाहे वह अभियुक्त ही क्यों ना हो युद्ध बंदी हो चाहे बालक या दलित हो हर मानव की गरिमा की रक्षा आवश्यक है मानव व्यक्तित्व का विकास इन अधिकारों से जुड़ा हुआ है। गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, कुपोषण, नशा, नियोजित अपराध, भ्रष्टाचार, विदेशी, असहिष्णुता, रंगभेद, धार्मिक कट्टरता आदि बुराइयों का योजनाबद्ध तरीके से निर्मूलन के लिए मानवाधिकार आवश्यक है। हर्ष हीलिंग हैंड फाउंडेशन का उद्देश्य लोगों को मानवाधिकारों की जानकारी देना, उनकी सुरक्षा के लिए उपलब्ध उपायों के प्रति जागरूक करना है। राष्ट्रीयता, लिंग, जातीय मूल, धर्म, भाषा, शिक्षा के अधिकारों की जानकारी देना, दासता (बंधुआ) से मुक्ति दिलाना, अमानवीय व्यवहार से मुक्ति दिलाना, कानून के समक्ष समानता का अधिकार दिलाना, शादी करने और घर बसाने में स्वतंत्रता दिलाना, आर्थिक सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकार दिलाना, सामाजिक सुरक्षा करने का अधिकार और निर्दोषों को गिरफ्तारी से मुक्ति दिलाने में सहायता प्रदान करना। रोजगार के स्थान पर हो रहे आर्थिक शोषण से मुक्ति दिलाने में सहायता करना। लोगों को अपने संवैधानिक आधिकारों की जानकारी ना होने के अभाव में शोषण का शिकार होना पड़ता है। शोषक उनके अधिकारों का हनन कर लाभ उठाते हैं। हर्ष हीलिंग हैंड फाउंडेशन का ध्येय यही हैं कि लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है।
महिला सशक्तिकरण
भारत में महिला सशक्तिकरण नीति 2001 में बनी क्योंकि भारतीय समाज में आज भी पारंपरिक • पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण है। महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और कानूनी मुद्दों पर संवेदनशीलता से विचार नहीं किया जाता है। उन्हें लैंगिक असमानता का सामना करना पड़ता है। शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में वह अपनी इच्छा और रुचिअनुसार निर्णय लेने में असमर्थ है और जिन्हें अधिकार प्राप्त हैं वह भी परिवार की इच्छा पर ही निर्भर करती हैं। आधुनिक युग में महिलाएं पढ़ लिखकर आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रही हैं लेकिन फिर भी उनका शोषण किया जाता है और अधिकारों का हनन समाज में होता है। अपने अधिकारों के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ता है । भारतीय समाज में महिलाएं आज भी सामाजिक रूढ़ीवादी विचारों के कारण आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं है। कामकाजी महिलाएं अपने श्रम और अपने परिवार की जिम्मेदारियां के बोझ तले दबी हुई हैं। उन्हें अपने काम और परिवार दोनों ही जिम्मेदारियों से जूझना पड़ता है। राजनीति में वह स्वेच्छा से नहीं आ पाती। राजनीति में मात्र 10% महिलाएं ही प्रतिनिधित्व कर पाती हैं। वहां भी उन्हें अपने और महिलाओं के मुद्दे उठाने की स्वतंत्रता लगभग न के बराबर है। हर क्षेत्र में महिलाओं का शोषण और अधिकारों का हनन होता है। स्वतंत्रता और अवसर न मिलने के कारण उनकी क्षमताएं शिथिल पड़ जाती हैं। हर्ष हीलिंग हैंड फाउंडेशन का उद्देश्य महिलाओं को शिक्षा, सामाजिक समता, स्वतंत्रता, न्याय और आर्थिक स्वतंत्रता के अधिकार प्राप्त करने के लिए जागरूक और सजग बनाना है। सशक्तिकरण नीति से भौतिक, शारीरिक और मानसिक स्तर पर महिलाओं को सशक्त बनाना है। शिक्षा (Awareness and knowledge) के माध्यम से उन्हें दृढ़ बनाना है। हस्तशिल्प और कला का विकास कर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। सिलाई कढ़ाई, सौंदर्य कला प्रशिक्षण, बुनाई, खिलौने बनाने का प्रशिक्षण (Soft toys), खाद्य संरक्षण आदि जैसे प्रशिक्षण देकर आय उपार्जन के लिए सक्षम करना है। उन्हें सूक्ष्म बचत (Saving), सूक्ष्म ऋण (micro financing) का प्रशिक्षण देना है, ताकि महिलाऐं छोटे या लघु उद्योग स्थापित कर से आय उपार्जन कर सकें।




स्वास्थ्य देखभाल
स्वास्थ्य प्रणाली को तीन स्तरों में बांटा गया है: –
1- प्राथमिक सेवा केंद्र (PHC)
2- सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (CHC और छोटे जिला अस्पताल)
3-जिला अस्पताल
भारतीय की आबादी अधिकांशत ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहां स्वास्थ्य सेवाएं बहुत कम मात्रा में उपलब्ध है। शुरुआती रोग में वह स्वास्थ्य देखभाल आर्थिक स्थिति कमज़ोर होने के कारण और जागरुकता की कमी के कारण सही समय पर रोगों का ईलाज नहीं करवा पाते। जिसके परिणाम स्वरूप रोग बढ़ जाते हैं। सीमित उपलब्धता और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में लोग निजी स्वास्थ्य अस्पतालों में अपना ईलाज कराने को मजबूर हैं। आर्थिक स्थिति कमज़ोर होने के कारण वह समय पर सही ईलाज नहीं करवा पाते हैं। हर्ष हीलिंग हैंड फाउंडेशन का उद्देश्य लोगों को उनके स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति जागरूक करना, सामाजिक रूप से वंचित आर्थिक रूप से अक्षम और प्रणाली गत रूप से हाशिए पर रहने वाले लोगों की आयुर्वेदिक पद्धति से स्वास्थ्य देखभाल करना है। लोगों को आम बीमारियों के लिए आसानी से इलाज उपलब्ध कराना है ताकि वह स्वस्थ रहें और अपने स्वास्थ्य की देखभाल कर सकें।
पशु पक्षी का बचाव और देखभाल
प्रदूषण और शहरी विकास की मार से पशु पक्षियों की प्रजातियों और संख्या – पर बहुत गहरा असर पड़ा है। इसके साथ ही लोगों में पशु पक्षियों के प्रति प्रेम और दया के भावों में भी कमी आई है। उनके बचाव, देखभाल और सुरक्षा की उपेक्षा हो रही है। लोग पशुओं को पालते तो हैं लेकिन जब पशु बूढ़े और बीमार हो जाते हैं तो उन्हें सड़क पर छोड़ दिया जाता है। सड़कों पर दुर्घटनाग्रस्त पशु तड़प-तड़प कर मर जाते, लोग देखकर भी अंजान बनकर निकल जाते हैं। ऐसा नहीं है कि सभी लोग निर्दयी हो गए हैं कुछ लोग उनकी सहायता करना चाहते हैं और करते भी हैं लेकिन इसमें भी एक बड़ा प्रश्न है वो ये कि पशु पक्षियों को सही चिकित्सा मिले जो कि नहीं मिल पाती या समय पर नहीं मिलती। हर्ष हीलिंग हैंड फाउंडेशन का उद्देश्य लोगों को पशु और पक्षियों के प्रति प्रेम, सहानुभूत्ति, दया और मानवता के लिए जागरूक करना। उन्हें ये समझना कि पशु और पक्षी भी समाज के अभिन्न अंग हैं। प्रकृति में इनका भी सहयोग है। आकाश में उड़ते हुए पंछी पर्यावरण की सफाई करते हैं वह बीमारी फैलाने वाले जीवाणुओं को खाकर नष्ट करते हैं। पशुओं के मल मूत्र से मिट्टी में उर्वरता बढ़ती है। गाय भैंसों का गोबर को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, गोबर गैस बनाई जाती है और खाद के रुप में प्रयोग किया जाता है तो उनकी सुरक्षा और देखभाल की जिम्मेदारी भी होनी चाहिए। लोगों को ये समझना कि गर्मी में पशु- पक्षियों के लिए दाना और पानी रखें, पशुओं के चारे की व्यवस्था करने की कोशिश करें। पशु पालकों को बूढ़े और कमजोर पशुओं की देखभाल करने के लिए जागरूक करना, उन्हें सड़कों पर आवारा ना छोड़ने के लिए समझाना। घायल पशु पक्षियों को इलाज मुहैया की करना एवम् आवारा पशुओं को चारे की व्यवस्था करना है।




सुरभि करुणा सेवा सदन
सुरभि करुणा सेवा सदन भारत में गाय को पवित्र और पूजनीय माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से गाय को गौ माता और जीवनदात्री भी कहा जाता है। मान्यता यह भी है कि गाय में 33 कोटि देवी देवता वास करते हैं। गौ पालन आदि युग से सनातन धर्म में प्रचलित है। आज भी दुग्ध उत्पादन के लिए गौ पालन बड़ी मात्रा में किया जाता है। गाय के दूध की पौष्टिकता के साथ-साथ गाय के गोबर और मूत्र का उपयोग स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता है। गाय हमारे जीवन के लिए अमूल्य है। इसमें कोई संशय नहीं कि हमारी परंपरा में गांव को महत्व दिया गया है और देना भी चाहिए लेकिन दूसरी और आज के समय में गौ वंश के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। अधिक दुग्ध उत्पादन के लिए गाय को पाला जाता है और तब तक उन्हें रखा जाता है जब तक वो दूध दे रही होती हैं। जब दूध देना बंद कर देती हैं या बूढ़ी और बीमार हो जाती हैं तब उन्हें बेच दिया जाता है या सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। गाय की उम्र लगभग 18 से 20 वर्ष की होती है वह अपने जीवन काल में 8 से 10 बार बछड़े – बछड़ियो को जन्म देती है। बछड़ियों को तो गौ पालक रख लेते हैं और बछड़ों को छोड़ देते हैं। बछड़ों को पर्याप्त दूग्ध पान नहीं करने देते जिससे कमजोर होकर वे मर जाते हैं और जो नहीं मरते हैं उन्हें सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। छोड़े गए बछड़े और बूढ़ी बीमार गाय इधर-उधर आवारा घूमते हैं, अपना पेट भरने के लिए खेतों में घुसते हैं, सड़कों और गलियों में घूमते हैं। जहां उन्हें खाना तो नहीं मिलता है – हां मार जरूर मिलती है जिससे वह घायल हो जाते हैं। सड़कों पर मरने के लिए छोड़ दिए जाते हैं ना उन्हें कोई खाना देने वाला होता है ना उनका कोई इलाज करने वाला होता है। वह इसी तरह तड़प तड़प कर मर जाते हैं। सरकार ने बहुत सारी गौशालाएं खोली हैं लेकिन फिर भी छोड़ा (Abundant) हुआ गोवंश सड़कों पर इधर-उधर अपना पेट भरने के लिए घूमता है और फिर दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है। चोट इतनी गहरी होती है कि वह सड़ने लगती हैं। वहां ना कोई उनका इलाज करता है और ना कोई इसकी सूचना गौ शाला को देता है ताकि उन्हें सही संरक्षण प्राप्त हो सके। समस्या बड़ी विकट है और ऐसा भी नहीं है कि इस समस्या का कोई समाधान नहीं है बस जरूरत यह है कि इस समस्या को समझा जाए और उसे सुलझाने का प्रयास किया जाए। हर्ष हीलिंग हैंड फाउंडेशन का उद्देश्य यह है की सुरभि करुणा सेवा सदन में घायल, बीमार, चोटिल गौवंश को सरंक्षण देना, उन्हें खाना देना और उनका इलाज करना। हर्ष हीलिंग हैंड फाउंडेशन का ध्येय यह भी है कि गौ पालकों को जागरूक किया जाए ताकि वो गौवंश को इस तरह से सड़कों पर न छोड़ें। लोगों को इस बात के लिए भी जागरूक करना है कि उन तक दूध पहुंचने के पीछे गाय की पीड़ा की बड़ी लम्बी कहानी है। गाय को अगर पवित्र और पूजनीय मानते हैं तो गाय की दुर्दशा होने से रोकने में सहायक बनें।